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Justice Yashwant Verma Case:जस्टिस यशवंत वर्मा पर महाभियोग की कार्यवाही शुरू, लोकसभा स्पीकर ने गठित की जांच कमेटी

14 मार्च को जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास (दिल्ली) में आग लगने की घटना के बाद फायर ब्रिगेड ने वहां से 500-500 रुपये के जले हुए नोटों के बंडल बरामद किए थे, जो बोरियों में भरे हुए थे। इस मामले ने सनसनी फैला दी थी।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा से जुड़े कथित नकदी कांड मामले में संसद में बड़ा कदम उठाया गया है। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने मंगलवार (12 अगस्त) को उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए एक जांच समिति का गठन किया है। इस प्रस्ताव पर सत्तापक्ष और विपक्ष के कुल 146 सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं।

जांच समिति की संरचना
स्पीकर द्वारा गठित तीन सदस्यीय समिति में सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति अरविंद कुमार, मद्रास हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मनिंद्र मोहन श्रीवास्तव और वरिष्ठ अधिवक्ता बी.बी. आचार्य शामिल हैं। समिति आरोपों की जांच करेगी और रिपोर्ट आने तक महाभियोग प्रस्ताव लंबित रहेगा।

मामला क्या है?
14 मार्च को दिल्ली स्थित जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास में आग लगने की घटना हुई थी। आग बुझाने पहुंचे फायर ब्रिगेड कर्मियों ने स्टोर रूम में बोरे में भरे जले हुए 500-500 रुपये के नोटों के बंडल मिलने की सूचना दी। इस खुलासे के बाद मामला सुर्खियों में आ गया।

जस्टिस वर्मा का पक्ष
जस्टिस वर्मा ने आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि उनके घर में कोई नकदी नहीं थी और उन्हें राजनीतिक-साजिश के तहत फंसाया जा रहा है। घटना के बाद 28 मार्च को उनका तबादला इलाहाबाद हाईकोर्ट में कर दिया गया।

महाभियोग की प्रक्रिया
किसी हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के जज को हटाने के लिए संसद के किसी भी सदन में महाभियोग प्रस्ताव लाया जा सकता है। सदन के अध्यक्ष या सभापति की मंजूरी के बाद जांच समिति गठित की जाती है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट का एक न्यायाधीश, एक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और एक प्रमुख विधि विशेषज्ञ शामिल होते हैं। समिति की रिपोर्ट के आधार पर संसद में अंतिम निर्णय लिया जाता है।

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