मोतिहारी: महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी के साथ बदसलूकी, नीतीश कुमार की आलोचना पर भड़के ग्राम प्रधान
तुषार गांधी वर्तमान में बिहार में पदयात्रा पर हैं और 12 जुलाई से पश्चिम चंपारण जिले में यात्रा कर रहे थे।
मोतिहारी (बिहार) – पूर्वी चंपारण जिले के तुरकौलिया गांव में एक कार्यक्रम के दौरान महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी के साथ बदसलूकी का मामला सामने आया है। ग्राम प्रधान बिनय सिंह ने मंच पर तुषार गांधी को अपमानित करते हुए कार्यक्रम से बाहर निकाल दिया। इसका कारण था—कार्यक्रम के दौरान नीतीश कुमार और केंद्र सरकार की आलोचना।
तुषार गांधी इन दिनों बिहार की यात्रा पर हैं और 12 जुलाई से पश्चिम चंपारण जिले में पदयात्रा कर रहे हैं। इसी क्रम में वे सोमवार को पूर्वी चंपारण के तुरकौलिया पहुंचे थे। यहां वे ऐतिहासिक नीम के पेड़ के दर्शन करने आए थे, जहां कभी महात्मा गांधी ने चंपारण सत्याग्रह के दौरान बैठक की थी।
क्यों भड़के ग्राम प्रधान?
कार्यक्रम के दौरान तुषार गांधी के साथ मौजूद एक व्यक्ति ने जब महागठबंधन को समर्थन देने की अपील की और सरकार की आलोचना शुरू की, तो ग्राम प्रधान बिनय सिंह भड़क गए। उन्होंने मंच पर चिल्लाते हुए कहा कि “प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश आगे बढ़ रहा है और नीतीश कुमार उनके साथ हैं, ऐसे में वे अपने गांव में किसी को उनकी आलोचना नहीं करने देंगे।”
क्या हुआ मंच पर?
प्रधान बिनय सिंह ने तुषार गांधी पर कई आरोप लगाते हुए उन्हें गांधी जी का वंशज मानने से भी इनकार कर दिया। इस पर तुषार गांधी ने शांतिपूर्वक जवाब देते हुए कहा, “कृपया आवाज कम करके बात करें।” लेकिन मुखिया ने उन्हें मंच से हटने को कह दिया। बात इतनी बढ़ गई कि दोनों के बीच तीखी बहस होने लगी। बाद में गांधीवादियों और अन्य ग्रामीणों ने मुखिया के इस व्यवहार का विरोध किया और कार्यक्रम बीच में ही छोड़ दिया।
तुषार गांधी का जवाब
बाहर आकर तुषार गांधी ने लोगों से बातचीत की और कहा,“मुझे गांधी का प्रपौत्र मानने से इनकार करने वाले खुद गोडसे के अनुयायी हैं। गांधी के विचारों से नफरत करने वाले इस देश की राजनीति को दूषित कर रहे हैं।”
क्या है घटना का महत्व?
इस घटना ने ना सिर्फ राजनीतिक असहिष्णुता पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि गांधी विचारधारा और लोकतांत्रिक मूल्यों को लेकर एक नई बहस भी छेड़ दी है। एक ऐतिहासिक स्थल पर, गांधी के वंशज के साथ ऐसा व्यवहार—वह भी केवल राजनीतिक आलोचना के कारण—आलोचना के घेरे में आ गया है।






