बिहार वोटर लिस्ट सत्यापन पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी, 9 विपक्षी दलों ने उठाए सवाल — पूरे देश पर पड़ सकता है असर

चुनाव आयोग (ECI) इसे देश की सुरक्षा और चुनावी पारदर्शिता के लिए जरूरी बता रहा है। इस मामले का फैसला न केवल बिहार, बल्कि पूरे देश की वोटर लिस्ट को प्रभावित कर सकता है।
नई दिल्ली/पटना: बिहार में मतदाता सूची सत्यापन को लेकर देश की सर्वोच्च अदालत में आज एक अहम सुनवाई हो रही है। यह मामला केवल एक राज्य की चुनावी प्रक्रिया तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे देश की मतदाता सूची पर असर डाल सकता है। सुप्रीम कोर्ट की पीठ जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जॉयमाल्या बागची इस मसले पर सुनवाई कर रही है।
विपक्ष की याचिका: गरीबों और महिलाओं का नाम हटाने की साजिश?
इंडिया गठबंधन की नौ प्रमुख पार्टियों — कांग्रेस, आरजेडी, टीएमसी, सीपीएम, एनसीपी (शरद पवार), सीपीआई, समाजवादी पार्टी, शिवसेना (उद्धव गुट) और झामुमो — ने याचिका दाखिल कर मांग की है कि बिहार में चल रहे वोटर लिस्ट सत्यापन पर रोक लगाई जाए।
विपक्ष का तर्क है कि यह प्रक्रिया गरीब, महिलाओं और हाशिए पर खड़े तबकों को सूची से बाहर करने का जरिया बन सकती है। साथ ही दो सामाजिक कार्यकर्ताओं, अरशद अजमल और रुपेश कुमार, ने भी सत्यापन अभियान को असंवैधानिक बताते हुए चुनौती दी है।
दूसरी ओर मांग: सिर्फ भारतीय नागरिक को मिले मतदान का अधिकार
वकील अश्विनी उपाध्याय ने एक अलग याचिका में चुनाव आयोग के कदम का समर्थन करते हुए कहा है कि वोट देने का अधिकार सिर्फ भारतीय नागरिकों को मिलना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए घुसपैठियों की वजह से देश के 200 जिलों में जनसंख्या का संतुलन बिगड़ चुका है।
उनका आग्रह है कि सुप्रीम कोर्ट चुनाव आयोग को निर्देश दे कि सत्यापन इस तरह हो कि अवैध घुसपैठियों के नाम लिस्ट से हटाए जा सकें।
चुनाव आयोग का रुख: लोकतंत्र की मजबूती के लिए जरूरी है सत्यापन
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने स्पष्ट किया कि वोटर लिस्ट में सिर्फ योग्य भारतीय नागरिकों के नाम रहने चाहिए। आयोग के अनुसार, 2003 के बाद पहली बार इतनी व्यापक स्तर पर सत्यापन हो रहा है।
चुनाव आयोग ने बताया कि:
- सत्यापन अभियान घर-घर जाकर किया जा रहा है।
- बिहार के बाद यह प्रक्रिया असम, पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी में चलेगी।
- आगे 2029 तक उत्तर प्रदेश, गुजरात, पंजाब, हिमाचल, गोवा, मणिपुर जैसे राज्यों में भी सत्यापन प्रस्तावित है।
पटना से नवादा तक विरोध में विपक्ष का हल्लाबोल
बिहार में सत्यापन प्रक्रिया के विरोध में विपक्षी दल सड़कों पर उतर आए हैं। पटना में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की अगुवाई में जोरदार प्रदर्शन हुआ।
तेजस्वी यादव ने कहा:
“ये गरीबों और पिछड़ों को मतदाता सूची से बाहर करने की साजिश है। अगर आपका नाम नहीं होगा, तो ये कहेंगे आप नागरिक ही नहीं हैं!”
राहुल गांधी ने भी इसे गरीबों के अधिकारों पर हमला करार दिया।
वहीं, बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने विपक्ष पर पलटवार करते हुए कहा:
“सत्यापन से डर क्यों? क्या विपक्ष अवैध वोटरों को बचाना चाहता है?”
सुप्रीम कोर्ट का फैसला तय करेगा अगला रास्ता
बिहार में इस वक्त एक लाख से अधिक बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) घर-घर जाकर मतदाता सूची की जांच में जुटे हैं। सुप्रीम कोर्ट की आज की सुनवाई बेहद निर्णायक हो सकती है।
यदि अदालत वोटर लिस्ट सत्यापन पर रोक लगाती है, तो यह पूरे देश के चुनावी ढांचे को प्रभावित कर सकता है। वहीं, अगर सत्यापन को हरी झंडी मिलती है, तो आने वाले वर्षों में अन्य राज्यों में भी बड़े पैमाने पर यह प्रक्रिया देखने को मिल सकती है।