बिहार: नशे में धुत ऑटो ड्राइवर ने रेलवे ट्रैक पर दौड़ाया वाहन, सामने से आ रही थी ट्रेन, बड़ा हादसा टला, VIDEO वायरल

स्थानीय लोगों की सतर्कता और समय पर अलर्ट होने के कारण किसी प्रकार की जानमाल की क्षति नहीं हुई है.
सीतामढ़ी, बिहार:शराबबंदी वाले राज्य बिहार से एक बार फिर चौंकाने वाली घटना सामने आई है। सीतामढ़ी जिले के मेहसौल क्षेत्र में एक नशे में धुत ऑटो चालक ने अपनी जान और दूसरों की जान जोखिम में डाल दी। वह ऑटो लेकर सीधे रेलवे ट्रैक पर चढ़ गया, जब सामने की पटरी से तेज रफ्तार में एक ट्रेन गुजर रही थी। हालांकि समय रहते स्थानीय लोगों की सतर्कता से एक बड़ा हादसा टल गया, लेकिन पूरी घटना का वीडियो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
कैसे टला बड़ा हादसा?
घटना शनिवार को मेहसौल रेलवे क्रॉसिंग के पास हुई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, एक ऑटो चालक जो पूरी तरह नशे में था, अचानक ऑटो लेकर रेलवे ट्रैक पर चढ़ गया और ट्रैक के बीचों-बीच पहुंच गया। उसी समय अप लाइन पर एक ट्रेन आ रही थी, जिससे वहां अफरा-तफरी मच गई।
स्थानीय लोग तुरंत दौड़े और ड्राइवर को ऑटो समेत ट्रैक से हटाने की कोशिश की। किसी तरह लोगों ने मिलकर ऑटो को ट्रैक से बाहर खींचा और चालक को रोका। गनीमत रही कि जिस ट्रैक पर ऑटो खड़ा था, वहां ट्रेन नहीं आई वरना यह लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती थी।
शराबबंदी की हकीकत फिर बेनकाब
इस घटना ने एक बार फिर बिहार की शराबबंदी नीति की असलियत को उजागर कर दिया है। भले ही राज्य में 1 अप्रैल 2016 से पूर्ण शराबबंदी लागू है, लेकिन जमीन पर इसका असर नगण्य दिखता है। लोगों के बीच अब भी शराब आसानी से उपलब्ध है, और तस्करी का नेटवर्क मजबूत बना हुआ है।
पड़ोसी राज्यों — उत्तर प्रदेश, झारखंड, बंगाल और नेपाल — से शराब की अवैध तस्करी आम बात हो गई है। बगहा में हाल ही में लगभग 776 लीटर अंग्रेजी शराब बरामद की गई थी।
जहरीली शराब से होती रही हैं मौतें
बिहार में जहरीली शराब से मौतों की खबरें अब आम हो गई हैं। छपरा, सिवान और मुजफ्फरपुर जैसे जिलों में जहरीली शराब से सैकड़ों लोग जान गंवा चुके हैं। इन घटनाओं के बाद से शराबबंदी की सफलता पर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं।
पटना हाईकोर्ट भी इस पर कड़ी टिप्पणी कर चुका है। अदालत ने कहा था कि शराबबंदी कानून अब पुलिस और तस्करों के लिए कमाई का जरिया बन चुका है और गरीबों के लिए यह दंड का माध्यम बन गया है।
प्रशासन पर सवाल
रेलवे ट्रैक पर इस तरह की घटना ने सुरक्षा व्यवस्था की भी पोल खोल दी है। अगर स्थानीय लोग समय पर हस्तक्षेप नहीं करते, तो यह घटना कई लोगों की जान ले सकती थी। अब सवाल उठता है कि सुरक्षा के इन महत्वपूर्ण बिंदुओं पर न तो निगरानी है और न ही शराबियों पर लगाम।