बिहार विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने खेला बड़ा दांव, 58 पर्यवेक्षकों की टीम मैदान में उतारी

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इन सभी 58 पर्यवेक्षकों के नामों की नियुक्ति की है। इसकी लिस्ट कांग्रेस पार्टी ने जारी कर दी है।
पटना: बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी कांग्रेस ने रविवार को बड़ा कदम उठाते हुए राज्य के लिए 58 पर्यवेक्षकों की सूची जारी कर दी है। पार्टी की ओर से ये पर्यवेक्षक आगामी चुनाव में संगठनात्मक मजबूती, रणनीतिक योजना और स्थानीय संपर्क को बढ़ावा देने के उद्देश्य से नियुक्त किए गए हैं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इन पर्यवेक्षकों की नियुक्ति को मंजूरी दी है।
राजनीतिक जमीन मजबूत करने की कोशिश
कांग्रेस पार्टी बिहार में अपनी कमजोर होती राजनीतिक स्थिति को सुधारने के लिए लगातार सक्रिय है। इन पर्यवेक्षकों की नियुक्ति को पार्टी की चुनावी तैयारी का अहम हिस्सा माना जा रहा है। ये सभी नेता चुनाव तक राज्यभर में भ्रमण कर संगठन के ढांचे को मजबूत करेंगे और स्थानीय मुद्दों को समझकर हाईकमान को रिपोर्ट देंगे।
कौन-कौन हैं पर्यवेक्षक?
कुल 58 नेताओं की इस सूची में कई चर्चित और अनुभवी नाम शामिल हैं। इनमें विंग कमांडर (सेवानिवृत्त) अनुमा आचार्य, अली मेहंदी, अशोक चांदना, मनोज यादव, नदीम जावेद, शोएब खान, अखिलेश यादव, वीरेंद्र यादव, अम्बा प्रसाद, अमरजीत भगत, अजीत भारतीय, आरिफ मसूद, अरुण विद्यार्थी और भुवनेश्वर बघेल जैसे नाम प्रमुख हैं।
इसके अलावा दीपक मिश्रा, देवेन्द्र निषाद, धीरेश कश्यप, गौरवित सिंघवी, हरीश पवार, इफ्तेकार अहमद, जयकरन वर्मा, जयेन्द्र रमोला, मनीष यादव, ममता देवी, श्वेता सिंह और सीताराम लाम्बा जैसे नेता भी शामिल हैं। कांग्रेस ने सभी जिलों में इन नेताओं को जिम्मेदारी सौंपकर उन्हें बूथ स्तर तक संगठन को सक्रिय करने का निर्देश दिया है।
पिछले चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन
2015 में कांग्रेस ने महागठबंधन के तहत बिहार विधानसभा चुनाव लड़ा था। उस समय कांग्रेस ने 70 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से केवल 19 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। राजद ने उस चुनाव में 144 सीटों पर चुनाव लड़ते हुए 75 सीटें जीती थीं। वहीं, गठबंधन की तीसरी सहयोगी पार्टी भाकपा (माले) लिबरेशन ने 19 सीटों पर चुनाव लड़ा और 12 पर जीत दर्ज की थी।
चुनाव से पहले सियासी हलचल तेज
बिहार की राजनीति में एक बार फिर गर्माहट आ चुकी है। सत्तारूढ़ और विपक्षी दोनों ही खेमे राज्य के अलग-अलग इलाकों में सक्रिय हो चुके हैं। कांग्रेस की यह नई कवायद यह साफ संकेत देती है कि पार्टी इस बार चुनाव को हल्के में नहीं ले रही। पर्यवेक्षकों की यह मजबूत टीम न केवल जमीनी स्थिति की निगरानी करेगी, बल्कि रणनीति तय करने में भी बड़ी भूमिका निभाएगी।