तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग पर उठाए गंभीर सवाल, कहा—’गरीबों-दलितों के मताधिकार पर हमला’

चुनाव आयोग का कहना है कि यह प्रक्रिया मतदाता सूची को शुद्ध और सटीक बनाने और फर्जी मतदाताओं को हटाने के उद्देश्य से की जा रही है। हालांकि, तेजस्वी यादव ने इसे “संविधान और लोकतंत्र के खिलाफ कदम” बताया।
पटना, बिहार – बिहार में आगामी अक्टूबर-नवंबर 2025 विधानसभा चुनाव से पहले राज्य की राजनीति गरमा गई है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग (Election Commission of India) पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि आयोग बिहार में वोटर लिस्ट का विशेष पुनरीक्षण करके गरीबों, दलितों और अल्पसंख्यकों के वोटिंग अधिकार छीनने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने इस प्रक्रिया को एक सुनियोजित साजिश बताते हुए बीजेपी-जेडीयू गठबंधन और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी कटघरे में खड़ा किया।
क्या है मामला?
चुनाव आयोग ने 24 जून 2025 को घोषणा की कि बिहार में वोटर लिस्ट का विशेष पुनरीक्षण (Special Intensive Revision) किया जाएगा। इस प्रक्रिया के तहत:
- 2003 की वोटर लिस्ट को आधार बनाया जाएगा।
- 1 जुलाई 1987 से पहले जन्मे नागरिकों को जन्म स्थान और तिथि के प्रमाण देने होंगे।
- बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) घर-घर जाकर दस्तावेज जांचेंगे और वोटर डाटा को सत्यापित करेंगे।
- कुल 8 करोड़ वोटरों की सूची को केवल 25 दिनों में अपडेट करना लक्ष्य रखा गया है।
चुनाव आयोग का कहना है कि यह प्रक्रिया मतदाता सूची को शुद्ध और सटीक बनाने और फर्जी मतदाताओं को हटाने के उद्देश्य से की जा रही है। हालांकि, तेजस्वी यादव ने इसे “संविधान और लोकतंत्र के खिलाफ कदम” बताया।
तेजस्वी यादव के प्रमुख आरोप और सवाल
1. गरीबों का वोट छीनने की साजिश
तेजस्वी का दावा है कि यह विशेष पुनरीक्षण गरीब, दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक वर्गों को वोटिंग प्रक्रिया से बाहर करने की रणनीति है। उन्होंने कहा:
“लोकसभा चुनाव हाल ही में इसी वोटर लिस्ट से कराए गए, फिर अचानक विधानसभा चुनाव से पहले यह प्रक्रिया क्यों?”
2. 25 दिनों में 8 करोड़ वोटर लिस्ट तैयार करना असंभव
तेजस्वी ने बताया कि 2003 में जब ऐसा पुनरीक्षण हुआ था, तो उसे पूरा होने में 2 साल लगे थे। अब सिर्फ 25 दिन में यह कार्य करना अव्यवहारिक और संदिग्ध है।
3. बाढ़ के मौसम में दस्तावेज एकत्र करना कैसे संभव?
बिहार के 73% हिस्से में मानसून के दौरान बाढ़ की स्थिति रहती है। लोग जीवन और संपत्ति बचाने में व्यस्त रहते हैं। ऐसे में वे जरूरी कागज़ात कैसे देंगे?
4. गरीबों के पास नहीं हैं जरूरी दस्तावेज
नए नियमों के अनुसार:
- जन्म प्रमाणपत्र,
- माता-पिता की नागरिकता का प्रमाण,
- शैक्षणिक सर्टिफिकेट,
की जरूरत होगी। तेजस्वी ने बताया:
- 2001 से 2025 के बीच जन्मे बच्चों में केवल 2.8% के पास जन्म प्रमाणपत्र है।
- केवल 10-13% ने हाई स्कूल पास किया है।
- आधार कार्ड को मान्य नहीं माना जा रहा, जिससे गरीबों को और मुश्किल होगी।
5. प्रवासी मजदूरों के लिए कोई व्यवस्था नहीं
बिहार के लगभग 3 करोड़ लोग देश के अन्य राज्यों में काम करते हैं। तेजस्वी ने सवाल उठाया:
“जो लोग बाहर रहते हैं, वे दस्तावेज कैसे देंगे और नाम जुड़वाने के लिए कहां जाएंगे?”
6. केवल बिहार में ही क्यों?
तेजस्वी ने कहा कि यदि यह प्रक्रिया ईमानदारी से लोकतंत्र सुधारने के लिए है, तो इसे पूरे देश में लागू किया जाना चाहिए। केवल बिहार में इसे लागू करना चुनाव में बीजेपी-जेडीयू को फायदा पहुंचाने की चाल है।
7. जातीय गणना से तुलना
उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना, जो 9 महीने चली, उसमें कोई दस्तावेज नहीं मांगे गए, फिर 25 दिनों में इतनी कड़ी दस्तावेजी जांच कैसे संभव है?
नीतीश कुमार और केंद्र सरकार पर तीखा हमला
तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, हाल ही में दिल्ली जाकर इस साजिश का हिस्सा बने। उन्होंने दावा किया कि एनडीए को आगामी चुनाव में हार का डर है, इसलिए बीजेपी और आरएसएस के इशारे पर लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है।
“ये लोग संविधान बदलना चाहते हैं और गरीबों को वोट देने से रोकना इनकी रणनीति का हिस्सा है।”
तेजस्वी की मांगें
- विशेष पुनरीक्षण प्रक्रिया को तुरंत रोका जाए।
- चुनाव आयोग प्रक्रिया में पारदर्शिता और समयबद्धता सुनिश्चित करे।
- दस्तावेजों की शर्तें ढीली की जाएं ताकि गरीब, प्रवासी और युवा वोटरों को दिक्कत न हो।
- सभी राजनीतिक दलों और न्यायपालिका की निगरानी में यह प्रक्रिया हो।
विशेष पुनरीक्षण पर आयोग का पक्ष
चुनाव आयोग ने कहा है कि यह कदम वोटर लिस्ट को अधिक सटीक और निष्पक्ष बनाने के लिए है। आयोग के अनुसार:
- पुराने रिकॉर्ड को नए सिरे से जांचना आवश्यक है।
- अवैध या दोहरे वोटरों को हटाना लोकतंत्र की मजबूती के लिए ज़रूरी है।
- BLO हर परिवार से संपर्क कर प्रक्रिया को सहज बनाएंगे।