300 साल पुराने चमत्कारी हनुमान मंदिर का रहस्य: सपने में आदेश, नदी किनारे मिली मूर्ति
उत्तराखंड के ऋषिकेश में स्थित त्रिवेणी घाट पर बना मनोकामना सिद्ध हनुमान मंदिर न सिर्फ एक आस्था का केंद्र है, बल्कि चमत्कारों और श्रद्धा से जुड़ी गहराई से भरी कहानियों का भी साक्षी है। यह मंदिर करीब 300 साल पुराना है और यहां विराजमान हनुमान जी की प्रतिमा को स्वयंभू माना जाता है।
मंदिर की स्थापना से जुड़ी कथा
आचार्य शत्रुघ्न के अनुसार, यह मंदिर उस समय अस्तित्व में आया जब परम पूज्य महंत रामदास जी महाराज को एक रात सपने में बजरंगबली ने त्रिवेणी घाट जाने का आदेश दिया। उन्होंने महंत रणछोड़ दास जी के साथ गंगा किनारे जाकर हनुमान जी की प्राचीन प्रतिमा खोज निकाली। बाद में विधिवत पूजा करके उसे त्रिवेणी घाट पर स्थापित किया गया। तभी से यह मंदिर “मनोकामना सिद्ध” के नाम से जाना जाने लगा।
रामायण चित्रों से सजी हैं मंदिर की दीवारें
इस मंदिर की खासियत है कि इसकी दीवारों पर पूरी रामायण कथा चित्रों के रूप में उकेरी गई है। ये चित्र न सिर्फ श्रद्धालुओं के लिए धार्मिक शिक्षा का माध्यम हैं, बल्कि उन्हें भगवान श्रीराम और हनुमान जी की लीलाओं से जोड़ते हैं।
मन्नतें जरूर होती हैं पूरी
मंदिर में विराजमान भगवान हनुमान की भव्य मूर्ति को देख भक्तों की आस्था और भी गहरी हो जाती है। हर मंगलवार को विशेष पूजा होती है और हनुमान जयंती, श्रावण मास जैसे पर्वों पर यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। भक्त चोला चढ़ाते हैं, सिंदूर अर्पित करते हैं और नारियल चढ़ाकर अपनी मनोकामनाएं प्रकट करते हैं।
यहां आने वाले कई श्रद्धालु कहते हैं कि हनुमान जी से मांगी गई हर मुराद यहां जरूर पूरी होती है।
यह मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि श्रद्धा और चमत्कार का जीता-जागता उदाहरण है, जहां हर भक्त विश्वास के साथ आता है और संतोष के साथ लौटता है।