अँधेरगर्दी में इलाज: सासारम अस्पताल में बिजली गुल, डॉक्टरों ने मोबाइल टॉर्च से ऑपरेशन किया

बिहार के सरकारी अस्पताल में बुनियादी सुविधा विफल, 30 मिनट तक जनरेटर नहीं चला; प्रशासन की लापरवाही पर सवाल
आपातकाल में अँधेरा: मोबाइल लाइट में ट्रामा केस
- घटना: मंगलवार रात 10 बजे, सासाराम सदर अस्पताल के ट्रामा सेंटर में अचानक बिजली गुल.
- संकट: डॉक्टर-नर्स ने मोबाइल की रोशनी में मरीजों का इलाज किया, वीडियो वायरल.
- अवधि: 20-30 मिनट तक अंधेरा रहा, मरीजों ने गर्मी और अंधकार में तकलीफ झेली.
जानबूझकर लापरवाह
- पूर्व सूचना के बावजूद: बिजली विभाग ने रात 9 बजे पहले ही अलर्ट किया था कि केबल बदलने के लिए 30 मिनट बिजली कटेगी.
- प्रबंधन नींद में: अस्पताल में बड़े जनरेटर मौजूद, फिर भी बिजली बहाली में हुई देरी.
- गुमनाम कर्मचारी का खुलासा: जनरेटर स्टाफ को चालू करने में देर हो गई.
सिस्टम फेल होने का सच
समस्या | विवरण |
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बिजली बैकअप | करोड़ों के जनरेटर बेकार, आपातकाल में निष्क्रिय |
जवाबदेही | कोई भी अधिकारी घटना की जिम्मेदारी लेने नहीं पहुँचा |
रिकॉर्ड | अस्पताल से लापरवाही की पहले भी आती रही हैं खबरें |
मरीज के रिश्तेदार का गुस्सा: डॉक्टर फोन की लाइट में सिलाई कर रहे थे,अगर कोई गंभीर केस होता तो मौत हो जाती.
प्रशासन की खामोशी vs सोशल मीडिया का तूफा
- वायरल वीडियो: अंधेरे में इलाज करते स्टाफ के फुटेज ने लोगों को झकझोर दिया.
- जिला प्रशासन का बचाव: कटौती पूर्वसूचित थी, अस्पताल प्रबंधन को सतर्क रहना चाहिए था.
- स्वास्थ्य विभाग: अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं.
बड़ा सवाल: क्या बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था अभिशाप बन गई है
- CM नीतीश कुमार का “सात निश्चय” कार्यक्रम भी इस अस्पताल तक क्यों नहीं पहुँचा
- 2023-24 बजट: स्वास्थ्य पर 15,000 करोड़ आवंटित, फिर भी जनरेटर ईंधन तक नहीं
- जनता का आक्रोश: अस्पताल में ICU है, वेंटिलेटर हैं, लेकिन बल्ब जलाने की व्यवस्था नहीं.
एक्शन डिमांड: स्वास्थ्य मंत्रालय ने घटना की जाँच के आदेश दिए हैं, दोषी कर्मचारियों पर कार्रवाई का वादा.
यह घटना न सिर्फ प्रशासन की लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि बिहार की सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था किस हाल में है, जहां जानें अंधेरे में इलाज पर टिकी हैं.