तेजस्वी यादव ने दी चुनाव बहिष्कार की चेतावनी
Bihar Chunav 2025: बिहार चुनाव 2025 से पहले मतदाता सूची से 65 लाख नाम हटाने पर विपक्ष का सियासी हमला तेज मगर क्यों और इससे फायदा क्या होगा?
बिहार चुनाव 2025 से पहले प्रदेश की राजनीति गरमा गई है। मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी के आरोपों को लेकर विपक्ष हमलावर है। राजद नेता तेजस्वी यादव ने एक बार फिर चुनाव बहिष्कार की चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि अगर चुनाव आयोग ने मतदाता सूची में कथित गड़बड़ियों को नहीं सुधारा, तो विपक्ष चुनाव का बहिष्कार करने पर विचार करेगा।
तेजस्वी ने दावा किया है कि बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के दौरान 65 लाख वोटरों के नाम हटाए गए हैं, जिनमें बड़ी संख्या में दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक समुदाय के लोग शामिल हैं। उन्होंने इसे विपक्ष के वोट बैंक को खत्म करने की “साजिश” करार दिया और भाजपा पर निशाना साधा।
तेजस्वी ने यह भी कहा है कि वे कांग्रेस नेता राहुल गांधी की 17 अगस्त से शुरू हो रही बिहार यात्रा के दौरान जनता की राय जानेंगे और उसी के आधार पर आगे की रणनीति तय करेंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि जनता के बीच असंतोष गहरा हुआ, तो चुनाव बहिष्कार एक विकल्प हो सकता है।
इस बीच, कांग्रेस ने भी इसे “वोट चोरी” का मामला बताते हुए देशव्यापी आंदोलन छेड़ने का ऐलान किया है। कांग्रेस और राजद दोनों ही इसे लोकतंत्र पर हमला बता रहे हैं।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि तेजस्वी यादव की यह चेतावनी राजनीतिक दबाव बनाने की रणनीति का हिस्सा है। 2024 लोकसभा चुनाव में राजद को केवल 4 सीटें मिलने के बाद, तेजस्वी अब 2025 के विधानसभा चुनाव में कोई जोखिम नहीं लेना चाहते। वे न सिर्फ अपने कोर वोट बैंक को साधने की कोशिश कर रहे हैं, बल्कि महागठबंधन की एकजुटता भी दिखाना चाहते हैं।
तेजस्वी का यह कदम आने वाले समय में बिहार की राजनीति को नई दिशा दे सकता है। हालांकि, चुनाव बहिष्कार की चेतावनी कितना असर डालेगी, यह तो जनता की प्रतिक्रिया और चुनाव आयोग के रुख पर निर्भर करेगा।






