बिहार में बिजली हुई फ्री! नीतीश सरकार का बड़ा ऐलान – 125 यूनिट बिजली मुफ्त, जानिए जनता को कितना फायदा और सरकार पर कितना बोझ

पटना:बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य की जनता को बड़ी राहत दी है। उन्होंने गुरुवार को ऐलान किया कि 1 अगस्त 2025 से राज्य के सभी घरेलू उपभोक्ताओं को हर महीने 125 यूनिट बिजली मुफ्त दी जाएगी। इस योजना से करीब 1 करोड़ 67 लाख परिवारों को सीधा लाभ मिलेगा।
मुख्यमंत्री ने इस घोषणा के दौरान कहा, “हमने पहले ही सस्ती दरों पर बिजली दी है, लेकिन अब हमने तय किया है कि 1 अगस्त से 125 यूनिट तक बिजली मुफ्त दी जाएगी। जुलाई के बिल में ही इसका लाभ मिलना शुरू हो जाएगा। आने वाले तीन वर्षों में हम उपभोक्ताओं की सहमति से उनके घरों की छतों या आसपास के सार्वजनिक स्थलों पर सोलर पैनल भी लगाएंगे।”
बिहार में मौजूदा बिजली दरें क्या हैं?
बिहार में घरेलू बिजली उपभोक्ताओं के लिए यूनिट दरें उपभोक्ता वर्ग के अनुसार अलग-अलग हैं:
ग्रामीण घरेलू उपभोक्ता (DS-1):
- पहले 50 यूनिट: ₹7.57 प्रति यूनिट
- 50 यूनिट से अधिक: ₹8.11 प्रति यूनिट
- फिक्स चार्ज: ₹40 प्रति किलोवाट
शहरी घरेलू उपभोक्ता (DS-2):
- ऊर्जा शुल्क: ₹7.57 प्रति यूनिट
- फिक्स चार्ज: ₹80 प्रति किलोवाट
स्मार्ट प्रीपेड मीटर वाले उपभोक्ता:
- प्रति यूनिट 79 पैसे की संयुक्त छूट, जिसमें:
- स्लैब छूट: ₹0.54
- स्मार्ट मीटर लाभ: ₹0.25
शहरी घरेलू उपभोक्ता (अन्य):
- 100 यूनिट तक: ₹7.42 प्रति यूनिट
- 100 यूनिट से ऊपर: ₹8.95 प्रति यूनिट
125 यूनिट फ्री बिजली से जनता को कितना लाभ?
अगर औसतन ₹7.42 प्रति यूनिट की दर मानी जाए, तो:
125 यूनिट x ₹7.42 = ₹927.50
इसका मतलब है कि एक परिवार को हर महीने लगभग ₹900 से ₹950 की बचत होगी। यह बचत घरेलू बजट में बहुत उपयोगी साबित होगी। एक महिला उपभोक्ता ने खुशी जताते हुए कहा, “पहले 600–800 रुपये का बिजली बिल आता था। अब ये पैसा बचाकर हम राशन, पानी और बच्चों की जरूरतें पूरी कर पाएंगे।”
सरकार पर कितना वित्तीय भार पड़ेगा?
सरकार के इस फैसले से बिहार सरकार पर भारी आर्थिक बोझ भी पड़ेगा। अनुमान के अनुसार:
- प्रति परिवार बचत: ₹927.50
- कुल लाभार्थी परिवार: 1.67 करोड़
- कुल मासिक बोझ: ₹927.50 x 1.67 करोड़ = ₹1548.92 करोड़
- वार्षिक भार (12 महीने के लिए): ₹1548.92 करोड़ x 12 = ₹18,587.04 करोड़
यानी नीतीश सरकार को हर साल करीब 18,500 करोड़ रुपये की अतिरिक्त सब्सिडी वहन करनी पड़ेगी। हालांकि, सरकार का दावा है कि यह फैसला सामाजिक कल्याण और आर्थिक न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम है।