कर्नाटक में सिनेमा टिकट की अधिकतम कीमत ₹200 तय, मल्टीप्लेक्स पर भी लागू होंगी नई दरें

कर्नाटक सरकार ने सभी सिनेमाघरों के लिए टिकट कीमतों पर ऐतिहासिक पाबंदी लगाते हुए प्रति शो अधिकतम दर ₹200 तय की है। यह नियम मल्टीप्लेक्स समेत सभी प्रकार के थिएटरों और सभी भाषाओं की फिल्मों पर लागू होगा।
बेंगलुरु:कर्नाटक सरकार ने फिल्म प्रेमियों को बड़ी राहत देने की दिशा में अहम कदम उठाया है। राज्य सरकार ने प्रस्ताव रखा है कि अब सिनेमा टिकट की अधिकतम कीमत ₹200 से अधिक नहीं होगी — चाहे वह मल्टीप्लेक्स हो या सिंगल स्क्रीन थिएटर। यह प्रस्ताव कर्नाटक सिनेमा (विनियमन) नियम, 2014 में संशोधन के तहत लाया गया है, और सभी भाषाओं की फिल्मों और सभी प्रकार के सिनेमा हॉल पर लागू होगा।
अब महंगे टिकटों पर लगेगी लगाम
राज्य सरकार के गृह विभाग द्वारा 15 जुलाई 2025 को यह मसौदा अधिसूचना जारी की गई है। इस अधिसूचना पर प्रकाशन के 15 दिनों के भीतर जनता से सुझाव और आपत्तियाँ मांगी गई हैं। नागरिक अपने विचार गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, विधान सौधा को भेज सकते हैं।
मुख्यमंत्री की बजट घोषणा का हिस्सा
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने 2025-26 के बजट भाषण में स्पष्ट किया था कि सरकार सिनेमाघरों में टिकट की ऊंची कीमतों पर रोक लगाएगी। ₹200 की मूल्य सीमा तय करने का मुख्य उद्देश्य है कि सभी वर्गों को सिनेमा तक समान और सस्ती पहुंच मिल सके, खासकर शहरी मल्टीप्लेक्स में जहां टिकट कीमतें अक्सर आसमान छूती हैं।
पहले भी हो चुकी है कोशिश, लेकिन…
गौरतलब है कि टिकट दरों को नियंत्रित करने की यह कोशिश नई नहीं है। 2017-18 में कांग्रेस सरकार ने भी एक समान मूल्य निर्धारण का प्रस्ताव रखा था और 11 मई 2018 को इसे लेकर सरकारी आदेश जारी हुआ था। लेकिन अदालती हस्तक्षेप के चलते उस फैसले को वापस लेना पड़ा।
सिनेमा संस्कृति को बढ़ावा देने की तैयारी
इस साल के बजट में कर्नाटक सरकार ने फिल्म जगत को और मजबूती देने की कई घोषणाएं भी की हैं:
- बेंगलुरु के नंदिनी लेआउट में फिल्म अकादमी की 2.5 एकड़ जमीन पर पीपीपी मॉडल के तहत मल्टीप्लेक्स थिएटर कॉम्प्लेक्स विकसित किया जाएगा।
- कन्नड़ सिनेमा को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार ने आधिकारिक ओटीटी प्लेटफॉर्म लॉन्च करने की भी घोषणा की है।
फिल्म प्रेमियों को उम्मीद
राज्य सरकार की इस पहल से उम्मीद है कि अब आम आदमी भी बिना जेब पर भारी पड़े, सिनेमाघरों में जाकर नई फिल्में देख सकेगा। खासतौर पर युवा वर्ग और ग्रामीण क्षेत्रों के दर्शकों के लिए यह एक सकारात्मक कदम साबित हो सकता है।