Latest चुनाव बिहार विधानसभा चुनाव 2025

लालू यादव की नई रणनीति: औवैसी को किनारे कर राजद खेलेगा ‘अति पिछड़ा मुस्लिम कार्ड’

राजद ने न केवल औवैसी की पार्टी को महागठबंधन से बाहर रखा है, बल्कि ‘अति पिछड़े मुस्लिम’ समुदाय को आगे कर एक बड़ा सामाजिक समीकरण साधने की तैयारी कर ली है।

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, राज्य की राजनीति में नए समीकरण उभरने लगे हैं। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने इस बार असदुद्दीन औवैसी की पार्टी एआईएमआईएम से दूरी बनाकर अपनी चुनावी रणनीति को स्पष्ट कर दिया है: “मुस्लिम वोटबैंक में साझेदारी नहीं, बल्कि वर्चस्व चाहिए।”

राजद ने न केवल औवैसी की पार्टी को महागठबंधन से बाहर रखा है, बल्कि ‘अति पिछड़े मुस्लिम’ समुदाय को आगे कर एक बड़ा सामाजिक समीकरण साधने की तैयारी कर ली है।

राजद की रणनीति की पृष्ठभूमि:

  • 2020 विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम ने सीमांचल में 5 सीटें जीतकर महागठबंधन की संभावनाओं को चोट पहुंचाई थी।
  • इस हार से सबक लेते हुए राजद अब मुस्लिम समाज के ‘अति पिछड़े वर्ग’ पर अपना फोकस केंद्रित कर रहा है।
  • पार्टी की सोच है कि मुस्लिम समाज में अगड़े वर्ग (जैसे- शेख, सैयद, पठान) के नेताओं का वर्चस्व रहा है, जबकि 67% मुस्लिम आबादी अति पिछड़े वर्ग से आती है, जो अब तक नेतृत्व से वंचित रही है।

राजद का सामाजिक और जातीय आंकलन:

  • बिहार में अति पिछड़े वर्ग की 112 जातियां हैं, जिनमें से 24 जातियां मुस्लिम समुदाय से हैं।
  • यह वर्ग राजद का कोर वोट बैंक बन सकता है यदि उसे प्रतिनिधित्व और नेतृत्व में भागीदारी दी जाए।
  • राजद की नजर में यह वही रणनीति है जो पार्टी ने पहले ओबीसी और अति पिछड़े हिंदू वर्ग के साथ अपनाई थी।

सर्वे रिपोर्ट और राजनीतिक निर्णय:

  • राजद ने हाल ही में एक आंतरिक सर्वे कराया जिसमें यह निष्कर्ष निकला:
    • मुस्लिम समाज में वक्फ बोर्ड बिल जैसे मुद्दों पर राजद की मुखरता ने विश्वास कायम किया है।
    • मुस्लिम मतदाता अब एआईएमआईएम को वोट देकर महागठबंधन को कमजोर नहीं करना चाहते।
    • औवैसी की पार्टी के साथ गठबंधन करने से हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण हो सकता है, जिसका सीधा लाभ भाजपा को मिलेगा।

राजनीतिक समीकरण: मुस्लिम + अति पिछड़ा = नया सोशल ब्लॉक

राजद की कोशिश है कि ‘यादव + मुस्लिम’ की पारंपरिक जोड़ी को अब ‘अति पिछड़ा मुस्लिम’ के साथ एक नए सामाजिक समीकरण में बदला जाए।
यह रणनीति तीन स्तर पर काम कर रही है:

  1. प्रत्याशियों के चयन में अति पिछड़े मुस्लिम नेताओं को प्राथमिकता।
  2. पार्टी संगठन में इन्हें जिला, प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर जगह देना।
  3. गांव-स्तर पर इन समुदायों से संवाद और प्रतिनिधित्व का भरोसा।

औवैसी को किनारे रखने की वजह

  • सीमांचल की 5 सीटें (2020 में जीती) ने राजद की सत्ता वापसी की राह रोकी थी।
  • औवैसी की तीखी बयानबाजी से धार्मिक ध्रुवीकरण होता है, जिससे भाजपा को हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण करने का मौका मिलता है।
  • राजद अब संयमित मुस्लिम नेतृत्व को आगे लाकर भाजपा के ध्रुवीकरण एजेंडे को निष्प्रभावी करना चाहता है।

mahuaanews

About Author

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may also like

बिहार विधानसभा चुनाव 2025

Bihar Vidhansabha chunav 2025 – राजनीतिक दलों के बूथ लेवल एजेंट की ट्रेनिंग शुरू, चुनावी प्रक्रिया दी गयी जानकारी

Bihar Vidhansabha chunav 2025 – इस साल के अंत में बिहार में होनेवाले विधानसभा चुनाव को लेकर बिहार निर्वाचन आयोग
बिहार विधानसभा चुनाव 2025

Bihar Politics: महागठबंधन में बवाल, कांग्रेस तलाश रही 243 सीटों पर उम्मीदवार, पार्टी ने QR कोड जारी कर मांगी आवेदन, तेजस्वी की बढ़ेगी टेंशन ?

Bihar Politics:  बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियों ने तैयारी तेज कर ली है। एक ओर जहां पार्टी नेताओं