बिहार: RJD विधायक की सभा में ‘भूरा बाल साफ करो’ का नारा, विवाद गहराया,सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल

सभा में सहोडा पंचायत की मुखिया के पति मुनारिक यादव ने ‘भूरा बाल साफ करो’ का नारा लगाया।
गया (बिहार): बिहार की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। गया जिले के अतरी विधानसभा क्षेत्र में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के विधायक रंजीत यादव की सभा के दौरान 1990 के दशक का विवादित नारा “भूरा बाल साफ करो” गूंजने से राजनीतिक भूचाल आ गया है। इस नारे का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिससे इलाके में जातीय तनाव और राजनीतिक बहसें तेज हो गई हैं।
क्या है ‘भूरा बाल’ नारा?
इस नारे का पूरा अर्थ है — “भू” से भूमिहार, “रा” से राजपूत, “बा” से ब्राह्मण, और “ल” से लाला (कायस्थ)। 1990 के दशक में लालू यादव के नेतृत्व में यह नारा सवर्ण जातियों के राजनीतिक प्रभुत्व के खिलाफ दिया गया था। अब एक बार फिर इस नारे के इस्तेमाल ने बिहार की राजनीति को पुराने जातीय संघर्षों की ओर मोड़ दिया है।
सभा में कैसे हुआ विवादित नारे का इस्तेमाल?
मंगलवार को अतरी प्रखंड के सीढ़ पंचायत स्थित शिवाला मैदान में एक धरना कार्यक्रम आयोजित किया गया था, जिसका नेतृत्व विधायक रंजीत यादव कर रहे थे। धरना पंचायत भवन को अन्यत्र स्थानांतरित किए जाने के विरोध में था।
इसी दौरान मुखिया फोटो देवी के पति मुनारिक यादव ने मंच के पास माइक पर बोलते हुए कहा:
“लालू यादव ने कहा था, भूरा बाल साफ करो… अब फिर वही समय आ गया है।”
इसके तुरंत बाद सभा में तालियों की गूंज सुनाई दी, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि वहां मौजूद कुछ लोगों ने इस नारे का समर्थन किया।
विधायक की प्रतिक्रिया: “राजद ए टू जेड की पार्टी है”
वायरल वीडियो के बाद विवाद गहराया, तो विधायक रंजीत यादव ने तत्काल सफाई देते हुए कहा:
- “राजद ए टू जेड की पार्टी है, जो सभी जातियों और वर्गों को साथ लेकर चलती है।”
- “यह बयान देने वाला व्यक्ति न मेरा कार्यकर्ता है और न ही पार्टी का सदस्य।”
- “मैं इस तरह के जातिवादी नारे की कड़ी निंदा करता हूं।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि विवादित नारा देने वाले मुनारिक यादव का राजद से कोई औपचारिक संबंध नहीं है।
स्थानीय लोगों में आक्रोश
वीडियो वायरल होने के बाद स्थानीय सवर्ण समाज के बीच रोष है। कई सामाजिक संगठनों ने इस नारे को उकसाने वाला और विभाजनकारी बताते हुए निंदा की है। लोगों का कहना है कि इस तरह के नारों से समाज में जातीय खाई और गहरी हो सकती है, जो लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।
निर्वाचन आयोग और प्रशासन से जांच की मांग
घटना के बाद कुछ संगठनों ने निर्वाचन आयोग से हस्तक्षेप की मांग की है ताकि इस तरह के भड़काऊ नारों और भाषणों पर सख्त कार्रवाई हो सके। चुनाव आयोग या प्रशासन की ओर से अभी तक कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
वायरल वीडियो की पुष्टि नहीं
हालांकि, वायरल वीडियो की स्वतंत्र पुष्टि अब तक किसी न्यूज एजेंसी या प्रशासनिक अधिकारी द्वारा नहीं की गई है, लेकिन यह वीडियो महुआ न्यूज और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर तेजी से साझा किया जा रहा है।