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बिहार में वोटर लिस्ट पुनरीक्षण: कितना काम हुआ, कब तक पूरा होगा? पूरी जानकारी

चुनाव आयोग द्वारा 24 जून 2025 को SIR आदेश जारी किए जाने के बाद से, 14 दिनों के भीतर यानी 8 जुलाई 2025 शाम 6 बजे तक, कुल 3,70,77,077 एन्यूमरेशन फॉर्म (गणना प्रपत्र) एकत्र किए जा चुके हैं।

पटना: बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के तहत वोटर लिस्ट की जांच का काम तेजी से आगे बढ़ रहा है। चुनाव आयोग ने 25 जुलाई 2025 तक इस प्रक्रिया को पूरा करने का लक्ष्य रखा है, लेकिन अब तक की प्रगति देखते हुए यह समय से पहले भी पूरा हो सकता है। आइए जानते हैं कि अब तक कितना काम हुआ है और कितने कर्मचारी इस अभियान में जुटे हैं।

क्या है वोटर लिस्ट पुनरीक्षण (SIR)?

  • उद्देश्य: मृतकों, पलायन कर चुके लोगों और डुप्लीकेट नामों को हटाकर सही और अपडेटेड वोटर लिस्ट तैयार करना।
  • लक्ष्य: बिहार के 7.90 करोड़ मतदाताओं की जांच करना।
  • समयसीमा: 25 जुलाई 2025 (लेकिन प्रगति के आधार पर जल्दी भी पूरा हो सकता है)।

अब तक कितना काम हुआ? (08 जुलाई 2025 तक)

46.95% फॉर्म एकत्रित: 3.70 करोड़ गणना प्रपत्र (एन्यूमरेशन फॉर्म) जमा किए जा चुके हैं।
97% फॉर्म वितरित: 7.70 करोड़ फॉर्म मतदाताओं तक पहुंचाए जा चुके हैं। 18.16% फॉर्म अपलोड: ECINET पोर्टल पर डिजिटली सत्यापित किए जा चुके हैं।
तेज रफ्तार: पिछले 24 घंटों में 82.78 लाख फॉर्म जमा हुए, यानी 10.5% प्रगति

कितने कर्मचारी काम में जुटे?

  1. बूथ लेवल ऑफिसर (BLO):
    • 77,895 BLO घर-घर जाकर फॉर्म भरवा रहे हैं।
    • 20,603 नए BLO हाल ही में जोड़े गए हैं।
  2. स्वयंसेवक:
    • 4 लाख से अधिक (सरकारी कर्मचारी, एनसीसी, एनएसएस) बुजुर्गों और दिव्यांगों की मदद कर रहे हैं।
  3. राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि (BLA):
    • 1.56 लाख बीएलए नियुक्त किए गए हैं, जो जमीनी स्तर पर काम कर रहे हैं।
  4. चुनाव अधिकारी:
    • 243 ईआरओ (विधानसभा स्तर)
    • 963 एईआरओ
    • 38 जिला निर्वाचन अधिकारी
    • राज्य निर्वाचन पदाधिकारी

आगे की रणनीति

  • दूसरा दौरा जारी: BLO अब तक पहला दौरा पूरा कर चुके हैं और दूसरे दौरे में फॉर्म वेरिफाई कर रहे हैं।
  • शेष 53% फॉर्म जल्दी पूरे होंगे: यदि यही गति बनी रही, तो 25 जुलाई से पहले काम पूरा हो जाएगा।
  • अंतिम वोटर लिस्ट: 30 सितंबर 2025 को जारी होगी।

विपक्ष का विरोध क्यों?

महागठबंधन (RJD, कांग्रेस, वामदल) का आरोप है कि:
 समयसीमा बहुत कम है और मानसून में काम करना मुश्किल।
 प्रवासी मजदूरों को वोटर लिस्ट से बाहर किया जा रहा है।
आधार और मनरेगा कार्ड जैसे दस्तावेजों को शामिल नहीं किया गया।

हालांकि, चुनाव आयोग का कहना है कि प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष है।

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