बिहार की पहली ग्रीन पेपर मिल पटना में शुरू, 5 हजार से अधिक लोगों को मिलेगा रोजगार

यह पेपर मिल रीसाइक्लिंग तकनीक पर आधारित है, जिसमें कचरे से उपयोगी कागज बनाया जाएगा। इससे न केवल अपशिष्ट प्रबंधन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि प्रदूषण कम करने में भी मदद मिलेगी।
बिहार के औद्योगिक विकास की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। पटना के रुकूनपुरा में राज्य की पहली ग्रीन पेपर मिल ‘साहा एंड ब्राइट पेपर प्राइवेट लिमिटेड’ का शुक्रवार को उद्घाटन किया गया। उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा ने इस अत्याधुनिक और पर्यावरण हितैषी इकाई का उद्घाटन करते हुए इसे बिहार के लिए “औद्योगिक क्षेत्र में नई क्रांति” बताया।
कचरे से तैयार होगा उपयोगी कागज, हर दिन 200 टन स्क्रैप की खपत
यह पेपर मिल आधुनिक तकनीक से सुसज्जित है और यहां प्रति दिन 200 टन कागज स्क्रैप की प्रोसेसिंग की जाएगी। इस यूनिट में मल्टी-लेयर क्राफ्ट पेपर का उत्पादन होगा, जो पैकेजिंग उद्योग में व्यापक रूप से उपयोग होता है। खास बात यह है कि यहां कचरे से पुनः उपयोगी कागज बनाया जाएगा, जिससे पर्यावरण संरक्षण और अपशिष्ट प्रबंधन को मजबूती मिलेगी।
रोजगार के नए अवसर: 150 प्रत्यक्ष, 5000 अप्रत्यक्ष नौकरियां
इस परियोजना के माध्यम से करीब 150 लोगों को सीधे रोजगार मिलेगा, जबकि लगभग 5,000 लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर मिल सकते हैं। इससे स्थानीय स्तर पर आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी और युवा वर्ग को अपने ही राज्य में काम करने का मौका मिलेगा।
उद्योग मंत्री ने बताया “बिहार के लिए ऐतिहासिक दिन”
कार्यक्रम में उपस्थित उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा ने कहा:
“यह बिहार में औद्योगिक प्रगति का प्रतीक है। ग्रीन टेक्नोलॉजी आधारित यह पेपर मिल राज्य के लिए एक मिसाल बनेगी और निवेशकों को बिहार की ओर आकर्षित करेगी।”
उन्होंने यह भी बताया कि सरकार राज्य में स्थायी और पर्यावरण-अनुकूल औद्योगीकरण को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयासरत है। मंत्री ने फतुहा के मोहम्मदपुर में चल रही नैपकिन और थर्मोकोल उत्पादन इकाई का भी निरीक्षण किया और वहां के विकास कार्यों की सराहना की।
तीन युवा उद्यमियों की दूरदर्शिता का परिणाम
‘साहा एंड ब्राइट पेपर प्राइवेट लिमिटेड’ की स्थापना राजीव कुमार, मनीष कुमार और विकास कुमार ने वर्ष 1998 में की थी। वर्षों की मेहनत और तकनीकी नवाचार के दम पर उन्होंने इस पेपर मिल को आकार दिया, जिसका उद्देश्य न केवल व्यवसायिक सफलता हासिल करना है, बल्कि बिहार को उद्योग के क्षेत्र में नई पहचान दिलाना भी है।
बिहार में औद्योगिक विकास को मिल रही नई रफ्तार
इस परियोजना की शुरुआत के साथ यह स्पष्ट है कि बिहार अब पारंपरिक कृषि राज्य की छवि से आगे बढ़कर हरित और आधुनिक उद्योगों का गढ़ बनने की ओर अग्रसर है। सरकार और निजी क्षेत्र के संयुक्त प्रयास से राज्य में निवेश के नए रास्ते खुलते नजर आ रहे हैं।