डायमंड कारोबार में वेदांता की एंट्री की तैयारी! अनिल अग्रवाल की नजर De Beers पर

नई दिल्ली: हीरा उद्योग की दिग्गज कंपनी De Beers की बिक्री की खबर से ग्लोबल बिजनेस वर्ल्ड में हलचल है. इस बहुप्रतीक्षित डील में अब वेदांता ग्रुप के चेयरमैन अनिल अग्रवाल भी उतर चुके हैं. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, De Beers को खरीदने की दौड़ में करीब छह कंसोर्टियम शामिल हैं, जिनमें अनिल अग्रवाल, कुछ प्रमुख भारतीय डायमंड कंपनियां और कतर का निवेश फंड भी हैं.
Anglo American बेचना चाहता है De Beers
De Beers फिलहाल Anglo American के स्वामित्व में है, जो अब अपने व्यवसाय का फोकस तांबा और लोहा जैसे खनिजों पर केंद्रित करना चाहता है. ऐसे में वह हीरे के व्यापार से बाहर निकलने की योजना बना रहा है। De Beers को बेचने की प्रक्रिया ऐसे समय में हो रही है जब वैश्विक स्तर पर हीरे की कीमतों में गिरावट आई है.
वेदांता की दिलचस्पी
सूत्रों के मुताबिक, अनिल अग्रवाल की कंपनी वेदांता, जो पहले से ही जाम्बिया और दक्षिण अफ्रीका में खदानें संचालित करती है, De Beers को खरीदने के लिए एक बड़े समूह के साथ मिलकर बोली लगाने की तैयारी में है. हालांकि अभी तक Anglo American और अग्रवाल की ओर से आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है.
अन्य भारतीय कंपनियों की भी नजर
भारतीय डायमंड कंपनियां KGK Group और Kapu Gems भी इस रेस में शामिल हैं. ये दोनों कंपनियां De Beers की प्रमुख ग्राहक भी हैं और हीरे को तराशने और जूलरी में बदलने का काम करती हैं. दोनों कंपनियों ने इस विषय पर कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया है.
क्या है De Beers की वैल्यू
Anglo American के अनुसार, De Beers की बुक वैल्यू करीब $4.9 बिलियन है, लेकिन कंपनी पिछले दो वर्षों में $3.5 बिलियन का नुकसान झेल चुकी है. डील की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए Morgan Stanley, Goldman Sachs और Centerview Partners को वित्तीय सलाहकार नियुक्त किया गया है. इनका काम कंपनी की बिक्री, डीमर्जर या आईपीओ लिस्टिंग की संभावनाएं तलाशना है.
यह संभावित सौदा वैश्विक हीरा उद्योग में बड़े बदलाव का संकेत देता है, खासकर ऐसे समय में जब हीरे की कीमतें गिरावट का सामना कर रही हैं.