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270 साल बाद श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर में होगा दुर्लभ ‘महाकुंभाभिषेकम’, जानें आयोजन का महत्व

मंदिर के प्रबंधक बी श्रीकुमार ने जानकारी दी कि यह आयोजन लगभग तीन शताब्दियों के बाद हो रहा है, जो अपने आप में अत्यंत दुर्लभ है।

तिरुवनंतपुरम, केरल:भारत के सबसे प्रतिष्ठित और रहस्यमय मंदिरों में से एक, श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर में 8 जून 2025 को 270 वर्षों बाद एक अत्यंत दुर्लभ और भव्य अनुष्ठान ‘महाकुंभाभिषेकम’ का आयोजन होने जा रहा है। यह अनुष्ठान मंदिर के हाल ही में पूर्ण हुए जीर्णोद्धार के बाद किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य मंदिर की आध्यात्मिक ऊर्जा को फिर से जागृत करना और उसकी पवित्रता को सुदृढ़ करना है।

क्या है महाकुंभाभिषेकम?

महाकुंभाभिषेकम एक विशिष्ट और शक्तिशाली वैदिक अनुष्ठान है, जिसे मंदिर के जीर्णोद्धार या पुनः निर्माण कार्यों के बाद मंदिर की आध्यात्मिक ऊर्जा को पुनः जागृत और सुदृढ़ करने के उद्देश्य से किया जाता है। यह अनुष्ठान न केवल मंदिर की पवित्रता को पुनर्स्थापित करता है, बल्कि भक्तों को भी एक आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है। पद्मनाभस्वामी मंदिर में यह अनुष्ठान लगभग तीन शताब्दियों बाद किया जा रहा है, जो इसे अत्यंत महत्वपूर्ण बना देता है।

कौन-कौन से अनुष्ठान होंगे शामिल?

मंदिर प्रबंधन के अनुसार, महाकुंभाभिषेकम के तहत निम्न प्रमुख अनुष्ठान होंगे:

  • नवनिर्मित तजिकाकुडम (गर्भगृह के ऊपर तीन और ओट्टक्कल मंडपम पर एक) का अभिषेक
  • विश्वसेन मूर्ति की पुनः स्थापना
  • तिरुवंबाडी श्रीकृष्ण मंदिर में ‘अष्टबंध कलसम’ अनुष्ठान
  • पूजन विधियों में आचार्य वरणम, प्रसाद शुद्धि, धारा, कलसम आदि

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हुआ जीर्णोद्धार

मंदिर के जीर्णोद्धार कार्य को 2017 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति के दिशा-निर्देशों के तहत शुरू किया गया था। कोविड-19 महामारी के कारण कार्य में थोड़ी बाधा आई, लेकिन अब इसे पूर्ण रूप से संपन्न कर लिया गया है।

ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व

मंदिर प्रबंधक बी. श्रीकुमार ने बताया, “ये आयोजन आने वाले कई दशकों तक दोहराया नहीं जाएगा, इसलिए यह दुनियाभर के श्रद्धालुओं के लिए एक अद्वितीय और दुर्लभ अवसर है।” उन्होंने आगे कहा कि “यह आयोजन सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक पुनर्जन्म की प्रक्रिया है।”

दुनियाभर के श्रद्धालुओं के लिए अनमोल क्षण

श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर, जो अपनी समृद्ध विरासत, अकल्पनीय संपत्ति और गूढ़ इतिहास के लिए जाना जाता है, अब इस ऐतिहासिक अनुष्ठान के जरिए फिर एक बार वैश्विक श्रद्धा का केंद्र बनने जा रहा है।

8 जून 2025 को होने वाला यह महाअनुष्ठान न केवल केरल बल्कि समूचे भारत की धार्मिक परंपराओं और आस्था की गहराई को दर्शाएगा।

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