बिहार चुनाव से पहले कांग्रेस की बड़ी पहल: वंचित वर्गों के युवाओं के लिए लॉन्च हुआ ‘संविधान लीडरशिप प्रोग्राम’

ऑनलाइन आवेदन से होगा चयन, महिलाओं, दलितों, अल्पसंख्यकों और पिछड़े वर्ग के युवाओं को मिलेगा नेतृत्व का मंच
पटना: बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी कांग्रेस पार्टी ने एक बड़ी रणनीतिक पहल की है। सामाजिक न्याय और समावेशी राजनीति की दिशा में पार्टी ने ‘संविधान लीडरशिप प्रोग्राम’ की शुरुआत की है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य स्पष्ट है—दलित, पिछड़ा, महादलित, अल्पसंख्यक और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) के युवाओं को राजनीतिक नेतृत्व के लिए प्रशिक्षित करना और उन्हें राजनीति की मुख्यधारा में लाना।
क्या है ‘संविधान लीडरशिप प्रोग्राम’?
यह कार्यक्रम कांग्रेस पार्टी का एक गहन सामाजिक-राजनीतिक प्रशिक्षण अभियान है, जिसका मकसद हाशिए पर रहे वर्गों को सशक्त करना है। इसके माध्यम से पार्टी उन युवाओं को तलाश रही है जो समाज में नेतृत्वकारी भूमिका निभाने के इच्छुक हैं, लेकिन अब तक अवसरों से वंचित रहे हैं।
ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया शुरू
कांग्रेस ने इच्छुक युवाओं के लिए एक ऑनलाइन फॉर्म उपलब्ध कराया है, जिसके जरिए उम्मीदवार आवेदन कर सकते हैं। फॉर्म में मांगी गई महत्वपूर्ण जानकारियां इस प्रकार हैं:
- व्यक्तिगत विवरण: नाम, पता, आयु, जिला और विधानसभा क्षेत्र
- जातीय जानकारी: जाति और उपजाति का उल्लेख
- डिजिटल पहचान: फेसबुक आईडी लिंक अनिवार्य
- उपलब्धता और प्रतिबद्धता: यह पूछा गया है कि आवेदक मीटिंग्स, प्रशिक्षण कार्यक्रमों और अभियानों में यात्रा के लिए तैयार हैं या नहीं
- सक्रिय भागीदारी: क्या आवेदक ‘व्हाइट टी-शर्ट आंदोलन’ का हिस्सा बनकर अपने क्षेत्र में कार्य करना चाहता है?
किन वर्गों को मिल रही प्राथमिकता?
‘संविधान लीडरशिप प्रोग्राम’ खास तौर पर इन वर्गों पर केंद्रित है:
- महिलाएं
- दलित और महादलित समुदाय
- पिछड़ा और अति-पिछड़ा वर्ग (OBC/EBC)
- अल्पसंख्यक समुदाय
- EWS वर्ग के युवा
इन वर्गों से जुड़े युवाओं को कम्युनिटी ऑर्गेनाइज़र और मोबिलाइज़र के रूप में प्रशिक्षित किया जाएगा। वे अपने जिले और विधानसभा क्षेत्र में सामाजिक जागरूकता, राजनीतिक संवाद और अधिकारों की रक्षा का काम करेंगे।
फॉर्म में मांगी गई कार्य की जानकारी
कांग्रेस पार्टी यह जानना चाहती है कि किन युवाओं की पहले से सामाजिक या राजनीतिक पृष्ठभूमि है। इसलिए फॉर्म में यह पूछा गया है कि आवेदक वर्तमान में क्या कार्य कर रहे हैं। विकल्पों में ये शामिल हैं:
- सामाजिक कार्यकर्ता
- छात्र नेता
- सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर
- आशा कर्मी
- पंचायत प्रतिनिधि
- मिड-डे मील रसोइया
- आंगनवाड़ी सेविका या सहायिका
इस जानकारी के जरिए पार्टी यह तय करेगी कि कौन से उम्मीदवार जमीनी हकीकत से परिचित हैं और उन्हें नेतृत्व प्रशिक्षण के जरिए किस तरह बेहतर जिम्मेदारियों के लिए तैयार किया जा सकता है।
बिहार जैसे जातीय और सामाजिक रूप से संवेदनशील राज्य में कांग्रेस का यह कदम राजनीतिक रूप से बेहद अहम माना जा रहा है। यह कार्यक्रम न केवल नए वोट बैंक को जोड़ने का प्रयास है, बल्कि स्थायी और दीर्घकालिक नेतृत्व तैयार करने की रणनीति का हिस्सा भी है।