बिहार चुनाव से पहले महागठबंधन में खटास? JMM ने दिखाई अलग राह, 15 सीटों पर अकेले लड़ने के संकेत

झामुमो के महासचिव विनोद कुमार पांडेय ने बयान जारी कर कहा कि महागठबंधन की रणनीतिक बैठकों में पार्टी को शामिल नहीं किया जा रहा है। 21 सदस्यीय समन्वय समिति में भी JMM को कोई स्थान नहीं मिला।
रांची/पटना:बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले विपक्षी महागठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। झारखंड की सत्तारूढ़ पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने साफ संकेत दिए हैं कि यदि गठबंधन में उसे सम्मानजनक हिस्सेदारी नहीं दी गई, तो पार्टी बिहार की 15 सीटों पर अपने दम पर चुनाव लड़ेगी। इस राजनीतिक रुख से संकेत मिल रहे हैं कि JMM और RJD के रिश्तों में दरार आ गई है।
महागठबंधन से उपेक्षा पर नाराज JMM
JMM के महासचिव विनोद कुमार पांडेय ने पार्टी की नाराजगी को खुलकर जाहिर किया है। उन्होंने कहा कि पार्टी को गठबंधन की बैठकों में नहीं बुलाया गया, और ना ही 21 सदस्यीय समन्वय समिति में कोई स्थान मिला। इससे JMM खुद को पूरी तरह उपेक्षित और अपमानित महसूस कर रही है।
2019 का जिक्र कर जताई नाराजगी
पार्टी ने 2019 के झारखंड विधानसभा चुनाव का हवाला देते हुए कहा कि उस वक्त मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राजद को मंत्री पद देकर सहयोग दिखाया था। बावजूद इसके, बिहार में आज JMM को नजरअंदाज किया जा रहा है। पार्टी का दावा है कि बिहार की सीमावर्ती सीटों पर उसका मजबूत जनाधार है।
किन सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है JMM?
JMM का फोकस मुख्य रूप से झारखंड की सीमा से सटी आदिवासी और झारखंडी पहचान वाले क्षेत्रों पर है। संभावित सीटें इस प्रकार हैं:
- चकाई
- झाझा
- तारापुर
- कटोरिया
- बांका
- मनिहारी
- रूपौली
- बनमनखी
- जमालपुर
- धमदाहा
पार्टी का मानना है कि इन क्षेत्रों में झारखंडी संस्कृति, भाषा और समुदायों की गहरी पकड़ है, जिन्हें अनदेखा करना गठबंधन के लिए नुकसानदेह हो सकता है।
राष्ट्रीय विस्तार की ओर JMM
JMM अब खुद को केवल झारखंड तक सीमित नहीं रखना चाहता। महासचिव पांडेय के मुताबिक पार्टी बिहार, बंगाल, उत्तर प्रदेश, असम, ओडिशा और छत्तीसगढ़ में भी सक्रिय भूमिका निभाने की योजना बना रही है। पहले भी JMM ने ओडिशा में छह विधायक, बिहार में एक विधायक और एक सांसद तक भेजे हैं।
तेजस्वी यादव की रांची यात्रा पर टिप्पणी
JMM नेताओं ने तेजस्वी यादव और राजद सांसद मनोज झा की 2024 में झारखंड यात्रा का जिक्र करते हुए कहा कि उन दिनों राजद को छह सीटें और एक मंत्री पद दिया गया था। अब वही सहयोग JMM को भी बिहार में चाहिए। पार्टी मानती है कि उसे यदि बराबरी का सम्मान नहीं मिला, तो वह अपने कार्यकर्ताओं के दम पर चुनाव लड़ने से पीछे नहीं हटेगी।