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India-China:चीन-पाक की खतरनाक सांठगांठ, अरुणाचल में नाम बदलने की नई साजिश, ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत पर दबाव की कोशिश

India-China:चीन अपनी पुरानी चालबाजियों के साथ फिर से मैदान में है। बीजिंग न केवल पाकिस्तान को सैन्य और आर्थिक मदद दे रहा है, बल्कि अरुणाचल प्रदेश के स्थानों का नाम बदलकर भारत के खिलाफ भड़काऊ कदम उठा रहा है।

पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जरिए पाकिस्तान को करारा जवाब दिया, लेकिन इस बीच चीन अपनी पुरानी चालबाजियों के साथ फिर से मैदान में है। बीजिंग न केवल पाकिस्तान को सैन्य और आर्थिक मदद दे रहा है, बल्कि अरुणाचल प्रदेश के स्थानों का नाम बदलकर भारत के खिलाफ भड़काऊ कदम उठा रहा है। चीनी सरकारी मीडिया, खासकर ग्लोबल टाइम्स, पाकिस्तान के पक्ष में दुष्प्रचार फैलाने में जुटा है। यह सब ऐसे समय में हो रहा है, जब भारत-पाक तनाव चरम पर है। चीन की इस करतूत ने न केवल उसकी दुर्भावना को उजागर किया है, बल्कि भारत को सतर्क रहने की चेतावनी भी दी है।

अरुणाचल में नाम बदलने की पुरानी चाल

चीन ने लगातार तीसरे साल अरुणाचल प्रदेश के स्थानों का नाम बदलने की कोशिश की है। बीजिंग अरुणाचल को ‘जांगनान’ या ‘दक्षिणी तिब्बत’ का हिस्सा बताकर अपनी दावेदारी ठोकता है। इस बार 14 मई 2025 को चीनी विदेश मंत्रालय ने 27 स्थानों के नाम ‘मानकीकृत’ करने की घोषणा की, जिसे भारत ने “बेतुका और निराधार” करार देते हुए खारिज कर दिया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, “अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा था, है और रहेगा। रचनात्मक नामकरण से इस सच्चाई को बदला नहीं जा सकता।

यह पहली बार नहीं है। चीन ने 2017 में 6, 2021 में 15, 2023 में 11 और 2024 में 30 स्थानों के नाम बदले थे, जिन्हें भारत ने हर बार खारिज किया। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पिछले साल इस पर तंज कसते हुए कहा था, “अगर मैं आपके घर का नाम बदल दूं, तो क्या वो मेरा हो जाएगा?” लेकिन चीन ने इस संदेश को नजरअंदाज करते हुए फिर से वही हरकत दोहराई।

टाइमिंग पर सवाल: पाकिस्तान के साथ एकजुटता?

चीन की इस करतूत की टाइमिंग संदेहास्पद है। 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 लोग मारे गए, के जवाब में भारत ने 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया। इस ऑपरेशन में भारत ने पाकिस्तान और PoK में 9 आतंकी ठिकानों को नष्ट किया। इस बीच, चीन ने न केवल पाकिस्तान का खुला समर्थन किया, बल्कि अरुणाचल में नाम बदलकर भारत का ध्यान भटकाने की कोशिश की। भारत-पाक तनाव के दौरान चीन ने पाकिस्तान को सैन्य और आर्थिक मदद दी। चीनी विदेश मंत्रालय ने ऑपरेशन सिंदूर को “खेदजनक” बताया और दोनों देशों से “संयम” बरतने की सलाह दी। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा, “चीन ने इस बार पाकिस्तान का ज्यादा समर्थन नहीं किया, क्योंकि वह भारत के साथ व्यापारिक रिश्ते बिगाड़ना नहीं चाहता।” लेकिन अरुणाचल में नाम बदलने का कदम और ग्लोबल टाइम्स का दुष्प्रचार बीजिंग की दोहरी चाल को उजागर करता है।  

ग्लोबल टाइम्स का दुष्प्रचार और भारत का जवाब

चीन का सरकारी मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स पाकिस्तान के पक्ष में भ्रामक खबरें फैलाने में जुटा है। उसने दावा किया कि पाकिस्तानी वायुसेना ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय राफेल जेट को मार गिराया। भारतीय दूतावास ने बीजिंग में ग्लोबल टाइम्स को फटकार लगाते हुए कहा, “तथ्यों की जांच किए बिना दुष्प्रचार फैलाना पत्रकारिता की नैतिकता का उल्लंघन है।” PIB फैक्ट चेक यूनिट ने भी इन दावों को खारिज करते हुए बताया कि वायरल तस्वीरें 2021 और 2024 के पुराने विमान हादसों की थीं।  भारत ने कड़ा कदम उठाते हुए 14 मई को कुछ घंटों के लिए ग्लोबल टाइम्स और शिन्हुआ न्यूज के X अकाउंट्स को भारत में ब्लॉक कर दिया। यह कार्रवाई भारत के रुख को दर्शाती है कि वह चीन के प्रोपेगेंडा को बर्दाश्त नहीं करेगा।  

चीन-पाक गठजोड़: भारत के लिए चुनौती

चीन और पाकिस्तान की दोस्ती दशकों पुरानी है। चीन-पाक आर्थिक गलियारा (CPEC), हथियारों की आपूर्ति और मिसाइल विकास में सहयोग इस रिश्ते के प्रमाण हैं। पहलगाम हमले के बाद चीन ने पाकिस्तान को खुला समर्थन देकर भारत के खिलाफ मोर्चा खोला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 मई को राष्ट्र के नाम संबोधन में पाकिस्तान को चेतावनी दी कि भारत अब केवल PoK पर बात करेगा। इस बयान के बाद चीन का अरुणाचल में नाम बदलना पाकिस्तान का मनोबल बढ़ाने की कोशिश माना जा रहा है। BBC हिंदी की एक रिपोर्ट में सवाल उठाया गया कि क्या चीन-पाक गठजोड़ भारत को कार्रवाई से रोक सकता है।  

भारत का रुख: सतर्कता और जवाबी कार्रवाई

भारत ने चीन की हरकतों का कड़ा जवाब दिया है। विदेश मंत्रालय ने अरुणाचल पर चीन के दावों को “हास्यास्पद” बताया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, “नाम बदलने से कुछ नहीं होगा। अगर हम चीन के प्रांतों का नाम बदल दें, तो क्या वे हमारे हो जाएंगे?”  चीन के साथ रिश्तों को लेकर भारत सतर्क है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने चीनी विदेश मंत्री वांग यी से फोन पर बात कर स्पष्ट किया कि भारत शांति चाहता है, लेकिन उकसावे का जवाब देना भी जानता है। भारत ने क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाकर चीन के प्रभाव को कम करने की रणनीति अपनाई है।

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